HomeCTETCTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300

CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300

CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300


CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300 PDF. Download Child Development Pedagogy Psychology Notes for HTET/CTET/REET/UPTET/TET. We are providing CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300 PDF & Child Development Pedagogy Psychology Notes for HTET/CTET/REET/UPTET/TET exams.

CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300 || Child Development Pedagogy Psychology Notes


Dear Students Please read all articles related to “CTET-HTET-REET-UPTET Child Development Pedagogy 201-300 PDF & Child Development Pedagogy Psychology Notes” for HTET/CTET/REET/UPTET/TET exams.

[table “4” not found /]

201. बी काम्पलेक्स कहा जाता है – B1, B2, B2 को
202. विटामिन बी की कमी से होता है – बेरी-बेरी रोग
203. विटामिन ‘ सी ’ की कमी से कौन-सा रोग होता है – स्कर्वी
204. विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत है –
आंवला
205. विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होता है – सूखा रोग
206. सूखा रोग पाया जाता है – बालिकाओं में
207. स्त्रियों में मृदुलास्थि रोग किस विटामिन की कमी से होता है – विटामिन डी
208. विटामिन ई की कमी से स्त्रियों में सम्भावना होती है – बांझपन , गर्भपात
209. विटामिन ई की कमी से उत्पन्न होने वाला रोग है – नपुंसकता
210. विटामिन ‘ के ’ की सर्वाधिक उपयोगिता होती है – गर्भिणी स्त्री के लिए , स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए
211. रक्त का थक्का न जमने का रोग किस विटामिन के अभाव से उत्पन्न होता है –
विटामिन ‘ के ‘
212. जल हमारे शरीर में कितने प्रतिशत है – 70 प्रतिशत
213. विटामिन K का प्रमुख स्त्रोत है –
केला , गोभी , अण्डा
214. दूषित जल के पीने से उत्पन्न रोग है –
पीलिया , डायरिया
215. कार्य करने के लिए किस पदार्थ की आवश्यकता होती है – कार्बोज की , कार्बोहाइड्रेट की
216. अभिभावकों को पोषण का ज्ञान कराने का सर्वोत्तम अवसर होता है – शिक्षक –
अभिभावक गोष्ठी
217. पोषण की क्रिया को बाल विकास से सम्बद्ध करने के लिए आवश्यक है – निरन्तरता
218. शारीरिक विकास के लिए निरन्तरता के रूप में उपलब्ध होना चाहिए – सन्तुलित भोजन , उचित व्यायाम
219. अध्यापक को पोषक के ज्ञान की आवश्यकता होती है – बाल विकास के लिए , छात्रों के रोगों की जानकारी के लिए , अभिभावकों को पोषण का ज्ञान प्रदान कराने के लिए।
220. अनिरन्तरता का विकास प्रक्रिया में प्रमुख कारक है – साधनों की अनिरन्तरता
221. साधनों की निरन्तरता में बालक विकास की गति को बनाती है – तीव्र
222. साधनों की अनिरन्तरता बाल विकास को बनाती है – मंद
223. एक बालक में विद्यालय के प्रथम दिन अध्यापक एवं विद्यालय के प्रति अरूचि उत्पन्न हो जाती है तो उसका प्रारम्भिक अनुभव माना जायेगा – दोषपूर्ण
224. एक बालक को सन्तुलित भोजन की उपलब्धता सप्ताह में दो दिन होती है। इस अवस्था में उस बालक का विकास होगा –
अनियमित
225. सर्वोत्तम विकास के लिए प्रारम्भिक अनुभवों का स्वरूप होना चाहिए – सुखद
226. एक बालक प्रथम अवसर पर एक विवाह समारोह में जाता है वहां उसको अनेक प्रकार की विसंगतियां दृष्टिगोचर होती हैं तो माना जायेगा कि बालक का सामाजिक विकास होगा – मंद गति से
227. शिक्षण कार्य में बालक के प्रारम्भिक अनुभव को उत्तम बनाने का कार्य करने के लिए शिक्षक को प्रयोग करना चाहिए – शिक्षण सूत्रों का
228. परवर्ती अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है – विकासकी परिस्थिति निर्माण में , विकास मार्ग को प्रशस्त करने में
229. बाल केन्द्रित शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर सामान्यत: किस विधि का प्रयोग उचित माना जायेगा – खेल विधि
230. परवर्ती अनुभवों का सम्बन्ध होता है –
परिणाम से
231. बाल केन्द्रित शिक्षा का प्रमुख आधार है – बालक का केन्द्र मानना
232. बाल केन्द्रित शिक्षा में किसकी भूमिका गौण होती है – शिक्षक की
233. बाल केन्द्रित शिक्षा का उद्देश्य होता है – बालक की रूचियों का ध्यान , अन्तर्निहित प्रतिभाओं का विकास , गतिविधियों का विकास
234. बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षा प्रदान की जाती है – कविताओं एवं कहानियों के रूप में
235. बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख स्थान दिया जाता है – गतिविधियों एवं प्रयोगों को
236. बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख भूमिका होती है – बालक की
237. प्रगतिशील शिक्षा का आधार होता है –
वैज्ञानिकता व तकनीकी
238. शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा
239. बालकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
240. शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण यन्त्रों का प्रयोग किसकी देन माना जाता है –
प्रगतिशील शिक्षा की
241. समाज में अन्धविश्वास एवं रूढि़वादिता की समाप्ति के लिए आवश्यक है – प्रगतिशील शिक्षा
242. शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर खेलों का प्रयोग माना जाता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
243. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
244. शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्टर , दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा का
245. बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्ठ सम्बन्ध
246. पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा की
247. छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य निहित है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा में
248. एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित शिक्षा
249. विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित शिक्षा में
250. बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा

[table “4” not found /]

251. बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे की पूरक
252. एक बालक की लम्बाई 3 फुट थी , दो वर्ष बाद उसकी लम्बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं विकास
253. स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्य है – प्रभावशाली व्यक्तित्व
254. परिवर्तन की अवधारणा सम्बन्धित है –
वृद्धि एवं विकास से
255. बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है –
मनोविज्ञान , विज्ञान , व तकनीकी का
256. वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास के लिए
257. क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है –
जैविकीय संयमों के अनुसार वृद्धि
258. सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि सूचक है –
धनात्मकता का
259. गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है –
वृद्धि का
260. गैसेल के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण है –
विकास का
261. निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्बन्धित है –
शरीर रचनात्मक , शरीर क्रिया विज्ञानात्मक , व्यवहारात्मक
262. सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है –
परिवर्तन का आधार
263. ” विकास के अनुरूप व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है ” यह कथन है – श्रीमती हरलॉक का
264. सोरेन्स के अनुसार विकास है – परिपक्वता एवं कार्य सुधार की प्रक्रिया
265. अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है –
शारीरिक
266. अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है –
मात्रात्मक
267. अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है –
रचनात्मक
268. अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है –
गर्भावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक
269. अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्था की ओर
270. अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
271. अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
272. अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
273. अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्भव है – मापन
274. विकास की प्रक्रिया चलती है –
गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक
275. अभिवृद्धि का सम्बन्ध है – शारीरिक परिवर्तन से
276. विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है –
शारीरिक, मानसिक , सामाजिक
277. वृद्धिएवं विकास के सन्दर्भ में सत्य है –
अभिवृद्धि बाद में होती है व विकास पहले होता है।
278. विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक
279. विकास का प्रमुख सम्बन्ध है – परिपक्वता से
280. विकास के क्षेत्र को माना जाता है –
व्यापक प्रक्रिया से
281. विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्मक
282. विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया के रूप में
283. विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं परिपक्वता का
284. क्रो एण्ड क्रो के अनुसार संवेग है –
मापात्मक अनुभव
285. ‘ संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है। ” यह कथन है – क्रो एण्ड क्रो का
286. ‘ संवेग शरीर की जटिल दशा है। ’ यह कथन है –
जेम्स ड्रेकर का
287. विकास की प्रक्रिया का सम्भव है –
भविष्यवाणी करना
288. संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है –
सुखद व दु:खद
289. संवेगों की उत्पत्ति होती है – परिस्थिति एवं मूलप्रवृत्ति के आधार पर
290. मैक्डूगल के अनुसार संवेग होते हैं – चौदह Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
291. भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेगों के प्रकार है – दो
292. सम्मान , भक्ति और श्रद्धा सम्बन्धित है –
रागात्मक संवेग से
293. गर्व , अभिमान एवं अधिकार सम्बन्धित है –
द्वेषात्मक संवेग से
294. भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेग है –
रागात्मक संवेग
295. क्रोध का सम्बन्ध किस मूल प्रवृत्ति से होता है – युयुत्सा
296. निवृत्ति मूल प्रवृत्ति के आधार पर कौन-सा संवेग उत्पन्न होता है – घृणा
297. कामुकता की स्थिति के लिए कौन-सी प्रवृत्तिउत्तरदायी है – काम प्रवृत्ति
298. सन्तान की कामना नाम मूल प्रवृत्ति कौन-सा संवेग उत्पन्न करती है – वात्सल्य
299. दीनता मानव में किस संवेग को उत्पन्न करती है – आत्महीनता
300. आत्म अभिमान संवेग किस मूल प्रवृत्ति के कारण उत्पन्न होता है – आत्म गौरव

[table “4” not found /]

Join Whats App Group 150 Mix History General Knowledge GK Questions for SSC/HSSC/HTET

Join Facebook Group150 Mix History General Knowledge GK Questions for SSC/HSSC/HTET

Facebook Page150 Mix History General Knowledge GK Questions for SSC/HSSC/HTET

Haryana Samanya Gyan General Knowledge PDF Files Download Now150 Mix History General Knowledge GK Questions for SSC/HSSC/HTET

Haryana All GK Serial-wise Read From here150 Mix History General Knowledge GK Questions for SSC/HSSC/HTET

Important Links:

Subscribe for get updates into your Inbox:

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Money Deep
Money Deephttps://www.indiastudyinstitute.in
India Study Institute is a educational website. Which serves education posts for students who is preparing for competitive exams. Download all kind of Exam Papers, Syllabus, Notes and other stuff from here.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Important

Most Popular